श्री शिव पञ्चाक्षरस्त्रोतम्


https://youtu.be/DVwd-Id7ck4
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे “न” काराय नमः शिवायः॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे “म” काराय नमः शिवायः॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै “शि” काराय नमः शिवायः॥
वषिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै “व” काराय नमः शिवायः॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै “य” काराय नमः शिवायः॥
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
॥ इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
           हिन्दी अर्थ__________
जिनके कंठ में साँपों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अनुलेपन है, उन अविनाशी महेश्वर 'न' कारस्वरूप शिव को नमस्कार है।। 1 ।।
गंगाजल और चंदन से जिनकी अर्चा हुई है, मन्दरपुष्प तथा अन्यान्य पुष्पों से जिनकी सुंदर पूजा हुई है, उन नंदी के अधिपति प्रमथगणो के स्वामी महेश्वर 'म' कारस्वरूप शिव को नमस्कार है।। 2 ।।
जो कल्याणस्वरूप हैं पार्वती जी के मुखकमल को विकसित करने के लिए जो सूर्यस्वरूप है, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले हैं जिनकी ध्वज में बैल का चिह्न है, उन शोभाशाली नीलकंठ 'शि' कारस्वरूप शिव जी को नमस्कार है।। 3 ।।
वसिष्ठ , अगस्त्य और गौतम आदि श्रेस्ठ मुनियों ने तथा इंद्र आदि देवताओं ने जिनके मस्तक की पूजा की है, चंद्रमा सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, उन 'व' कारस्वरूप शिव जी को नमस्कार है।। 4 ।।
जिन्होंने यक्षरूप धारण किया है जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ मे पिनाक है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, उन दिगम्बर देव 'य' कारस्वरूप शिव को नमस्कार है।। 5 ।।
जो शिव के समीप इस पवित्र पञ्चाक्षर का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त करता है और वहां शिव जी के साथ आनंदित होता है।। 6 ।।

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